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Krishna chalisa read in english

भगवान श्री कृष्ण का हिन्दू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री कृष्ण चालीसा को एक दैनिक आधार पर गाते हुए एक बार भगवान कृष्ण की पूजा जरूर की जाती है। हिन्दू धर्म में कई भगवान् की चालीसा गयी जाती हैं परन्तु भगवान् कृष्णा की चालीसा करने से तथा इनके नाम से ही हमारे अंदर की सारी बुराइयों का नाश जल्द ही हो जाता है।

भगवान श्री कृष्णा भगवान् विष्णु के अवतार हैं।इनकी चालीसा करने के लिए हमें सुबह स्नान कर के साफ़ कपडे पेहेन कर और मन से श्री कृष्णा जी की आराधना करते हुए इनकी चालीसा करनी चाहिए। इनकी चालीसा शाम में भी की जा सकती है। कृष्ण चालीसा के नियमित रूप से गायन मन की शांति प्रदान करता है और अपने जीवन से सभी बुराई को दूर करता है और आपको स्वस्थ, समृद्ध और खुस बनाता है। भगवान कृष्ण की चालीसा एक उत्तम चालीसा है।



बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम।
अरुण अधर जनु बिम्बफल, नयन कमल अभिराम॥
पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख, पीताम्बर शुभ साज।
जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥

जय यदुनंदन जय जगवंदन।जय वसुदेव देवकी नन्दन॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे। जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥
जय नटनागर, नाग नथइया॥ कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो। आओ दीनन कष्ट निवारो॥

वंशी मधुर अधर धरि टेरौ। होवे पूर्ण विनय यह मेरौ॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो। आज लाज भारत की राखो॥
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे। मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥
राजित राजिव नयन विशाला। मोर मुकुट वैजन्तीमाला॥

कुंडल श्रवण, पीत पट आछे। कटि किंकिणी काछनी काछे॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे। छबि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥
मस्तक तिलक, अलक घुँघराले। आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥
करि पय पान, पूतनहि तार्यो। अका बका कागासुर मार्यो॥

मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला। भै शीतल लखतहिं नंदलाला॥
सुरपति जब ब्रज चढ़्यो रिसाई। मूसर धार वारि वर्षाई॥
लगत लगत व्रज चहन बहायो। गोवर्धन नख धारि बचायो॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई। मुख मंह चौदह भुवन दिखाई॥

दुष्ट कंस अति उधम मचायो॥ कोटि कमल जब फूल मंगायो॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें। चरण चिह्न दै निर्भय कीन्हें॥
करि गोपिन संग रास विलासा। सबकी पूरण करी अभिलाषा॥
केतिक महा असुर संहार्यो। कंसहि केस पकड़ि दै मार्यो॥

मातपिता की बन्दि छुड़ाई ।उग्रसेन कहँ राज दिलाई॥
महि से मृतक छहों सुत लायो। मातु देवकी शोक मिटायो॥
भौमासुर मुर दैत्य संहारी। लाये षट दश सहसकुमारी॥
दै भीमहिं तृण चीर सहारा। जरासिंधु राक्षस कहँ मारा॥

असुर बकासुर आदिक मार्यो। भक्तन के तब कष्ट निवार्यो॥
दीन सुदामा के दुःख टार्यो। तंदुल तीन मूंठ मुख डार्यो॥
प्रेम के साग विदुर घर माँगे।दर्योधन के मेवा त्यागे॥
लखी प्रेम की महिमा भारी।ऐसे श्याम दीन हितकारी॥

भारत के पारथ रथ हाँके।लिये चक्र कर नहिं बल थाके॥
निज गीता के ज्ञान सुनाए।भक्तन हृदय सुधा वर्षाए॥
मीरा थी ऐसी मतवाली।विष पी गई बजाकर ताली॥
राना भेजा साँप पिटारी।शालीग्राम बने बनवारी॥

निज माया तुम विधिहिं दिखायो।उर ते संशय सकल मिटायो॥
तब शत निन्दा करि तत्काला।जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।दीनानाथ लाज अब जाई॥
तुरतहि वसन बने नंदलाला।बढ़े चीर भै अरि मुँह काला॥

अस अनाथ के नाथ कन्हइया। डूबत भंवर बचावइ नइया॥
सुन्दरदास आ उर धारी।दया दृष्टि कीजै बनवारी॥
नाथ सकल मम कुमति निवारो।क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥
खोलो पट अब दर्शन दीजै।बोलो कृष्ण कन्हइया की जै॥

॥दोहा॥

यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल, लहै पदारथ चारि॥

भगवान श्री कृष्ण जी की चालीसा का सारांश कहता है की हे गोपाल नंदन हे कृष्णा मुरारी हमारे अंदर से सभी बुराइयों का नाश करो हमे अच्छे रस्ते का ज्ञान दो हम मन से आपकी चालीसा करते हैं आप हमारे पूजनीय सदा के लिए हैं। मैं आपकी चालीसा दिन रात करूंगा।


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भगवान विष्णु इस धरती से बुराई को ख़त्म करने के लिए तथा सभी दानवों का नाश करने के लिए इस धरती पे भगवान श्री कृष्ण के रूप में अवतरित हुए। कंश जैसे राक्षश का नाश किया। गैवर्धन पर्वत उठा कर मथुरा के लोगों की रक्षा किया। इस दुनियां को श्रीमद भागवत गीता का ज्ञान दिया। कुरुक्षेत्र के युद्ध में पांडवों का साथ दिया तथा इस दुनिया से बुराई का नाश किया। बोलो जय श्री भगवान कृष्ण की जय।

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